मध्य प्रदेश - के नीमच जिले के रामपुरा निवासी अनुसूचित जाति के युवक विक्रम बागड़े ने अनुसूचित जाति (SC), अनुसूचित जनजाति (ST) वर्ग के सक्षम लोगों को शिक्षा व नौकरियों में आरक्षण का लाभ नहीं देने की गुहार लगाई है। डाक से भेजी गई बागड़े की याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के लिए स्वीकार कर लिया है। याचिका में स्वेच्छा से आरक्षण छोड़ने का विकल्प रखने का भी आग्रह किया गया है। सुप्रीम कोर्ट याचिका पर मार्च में सुनवाई कर सकता है।
याचिाकर्ता विक्रम बागड़े फिलहाल में मप्र के मंदसौर में एलएलबी प्रथम वर्ष के छात्र हैं। सुप्रीम कोर्ट को 25 जनवरी, 2020 को भेजी याचिका पत्र में उन्होंने मांग की है कि एससी-एसटी वर्ग के सक्षम लोगों का शिक्षा और सरकारी नौकरी में आरक्षण समाप्त किया जाना चाहिए। साथ ही गैस सिलेंडर और रेल टिकटों में सब्सिडी छोड़ने की तरह ही आरक्षण छोड़ने का विकल्प भी रखा जाए, ताकि जरूरतमंद लोगों को इसका लाभ मिल सके। सुप्रीम कोर्ट ने याचिका स्वीकार कर ली है। कोर्ट से इस आशय का पत्र विक्रम को भेजा गया
स्वयं ही रखेंगे अपना पक्ष
जानकारी के अनुसार विक्रम बागड़े
जानकारी के अनुसार विक्रम बागड़े शीर्ष अदालत में बगैर अधिवक्ता के अपना पक्ष रखेंगे। उनका कहना है कि वह राजनीति के क्षेत्र में आरक्षण के विरोधी नहीं हैं। उनका विरोध सिर्फ शिक्षा और सरकारी नौकरी में आरक्षण को लेकर है। वह स्वयं भी हायर सेकंडरी के बाद आरक्षण का लाभ नहीं ले रहे हैं। उन्होंने आईटीआई और बीए किया है। कंप्यूटर साइंस में डीसीए करने के बाद वह अभी कानून की पढ़ाई कर रहे हैं। वह पिछले पांच साल से सक्षम लोगों द्वारा आरक्षण का लाभ लेने का विरोध कर रहे हैं।
शीर्ष अदालत में बगैर अधिवक्ता के अपना पक्ष रखेंगे। उनका कहना है कि वह राजनीति के क्षेत्र में आरक्षण के विरोधी नहीं हैं। उनका विरोध सिर्फ शिक्षा और सरकारी नौकरी में आरक्षण को लेकर है। वह स्वयं भी हायर सेकंडरी के बाद आरक्षण का लाभ नहीं ले रहे हैं। उन्होंने आइटीआइ और बीए किया है। कंप्यूटर साइंस में डीसीए करने के बाद वह अभी कानून की पढ़ाई कर रहे हैं। वह पिछले पांच साल से सक्षम लोगों द्वारा आरक्षण का लाभ लेने का विरोध कर रहे हैं।