अतिथि विद्वान महिला ने सिर मुंडवाकर राहुल गांधी को भेजे केश,

मुंडन करवाने के बाद शाहीन खान हुई भावुक  कहा कि चुनाव के बाद अतिथि विद्वानों से कांग्रेस ने वादा किया था कि सरकार बनने पर हमारी मांगों को पूरा किया जाएगा. हमने एक साल तक  इंतजार किया अब उसके बाद ही हमने आंदोलन शुरू किया तो अतिथि विद्वानों को फालेन आउट नोटिस मिलना आरंभ हो गए.


भोपाल में विगत 72 दिनों से अपनी मांगों को लेकर धरने पर बैठे अतिथि विद्वानों के लिए बुधवार का दिन बेहद ही भावुक करने वाला रहा. बुधवार की दोपहर को धरना दे रही एक महिला अतिथि विद्वान ने अपने बालों को कटवाते हुए सार्वजनिक रूप से खुद का ही मुंडन करवा लिया. 


मुंडन करवाने के बाद वह भावुक हो गईं और कहा कि चुनाव के बाद अतिथि विद्वानों से कांग्रेस ने वादा किया था कि सरकार बनने पर हमारी मांगों को पूरा किया जाएगा. हमने एक साल तक इंतजार किया और उसके बाद ही हमने जब आंदोलन शुरू किया तो अतिथि विद्वानों को फालेन आउट नोटिस मिलना आरंभ हो गए. हम यहां दो महीने से कड़ाके की ठंड से धरना दे रहे हैं, परंतु सरकार ने हमारी आज तक कोई ध्यान नही दिया है हमने बच्चों को पढ़ाकर उनका भविष्य बनाया परंतु अब तो हमारा अपना ही भविष्य अंधकारमय है इसलिए यहां से लिखित आदेश मिलने तक हम यहां से नहीं उठेंगे.


अतिथि विद्वान नियमितीकरण संघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष देवराज सिंह ने कहा कि इससे ज्यादा दुखद दिन अतिथि विद्वानों के लिए नहीं हो सकता, क्योंकि एक महिला ने अपने केश त्याग दिए. डॉक्टर शाहीन ने जो बाल मुंडवाए हैं उन्हे हम राहुल गांधी के पास भेजेंगे जिससे भी उन्हें पता चल सके कि उनके दिए गए वचनो का पालन यहां नहीं हो रहा है.


 महिला अतिथि विद्वान के मुंडन करवाने के बाद मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मुख्यमंत्री कमलनाथ पर ट्वीट कर निशाना साधा है. शिवराज सिंह चौहान ने कमलनाथ का फरवरी 2018 का एक पुराना ट्वीट शेयर करते हुए लिखा है कि मुख्यमंत्री जी, आज भी केश नारी के सम्मान का प्रतीक है. अतिथि विद्वान बहनों ने आपकी सोती हुई सरकार को नींद से जगाने के लिए अपने केश त्यागे है, क्या आज आपको उनकी पीड़ा का अंदाज़ा है? क्या आपकी नज़र में आज प्रदेश शर्मसार हुआ? क्या उनकी भलाई के लिए आप कोई कदम उठाएंगे? 


जब शिवराज सिंह चौहान मुख्यमंत्री थे तब कमलनाथ ने महिला अतिथि विद्वान के मुंडन कराने पर शिवराज को घेरते हुए इसे दिल को झकझोरने वाली घटना कहा था. बता दें कि अपने नियमतिकरण की मांग को लेकर मध्य प्रदेश के अतिथि विद्वान 2 दिसंबर 2019 से आंदोलन कर रहे हैं जो अबतक जारी है.