ओडिशा- आर टी आई कार्यकर्ताओं की सुरक्षा के लिए पूर्व अधिकारियों ने मुख्यमंत्री को लिखा पत्र

हाल ही में हुई थी आरटीआई कार्यकर्ता की हत्या पूर्व अधिकारियों ने पत्र में की है घटना की घोर निंदा
ओडिशा के तलेसंगा गांव में 31 जनवरी को सूचना का अधिकार (आरटीआई) कार्यकर्ता रंजन कुमार दास की हत्या हुई थी. आरटीआई कानून (2005) लागू होने के बाद कई आरटीआई कार्यकर्ताओं पर हमले और हत्यएं हुई हैं हाल ही में हुई रंजन की हत्या के बाद अब सिविल सेवा के पूर्व अधिकारियों ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखा है.


पूर्व अधिकारियों की ओर से मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में आरटीआई कार्यकर्ताओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने की मांग की गई है. भारतीय सिविल सेवा के 18 पूर्व अधिकारियों की ओर से भेजे गए पत्र में आरटीआई कार्यकर्ता की हत्या की निंदा करते हुए इसे अभिव्यक्ति की आजादी, समानता का अधिकार और जीवन के अधिकार का उल्लंघन बताया गया है.


अधिकारियों ने मुख्यमंत्री श्री नवीन पटनायक से ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए प्रशासनिक और विधायिका के स्तर पर हर जरूरी कदम उठाने की मांग की है. अधिकारियों की मांग है कि ऐसे हमलों में संलिप्त अपराधियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की मांग की है.


इस पत्र पर अरुणा रॉय, सुंदर बर्रा और हर्ष मंडेर के साथ ही मधु भादुड़ी, नितिन देसाई, एम जी देवसहायम, मीना गुप्ता, चंद्रशेखर बालाकृष्णन, अशोक कुमार शर्मा, एनसी सक्सेना, केपी फेबियन, मीरन सी बोरवंकर, रमानी वेंकटेशन, विभु पुरी दास, केशव देसिरजू, अदिति मेहता, देब मुखर्जी और अरबिंदो बेहरा ने हस्ताक्षर किए हैं.


बता दें कि 31 जनवरी को बदमाशों ने आरटीआई कार्यकर्ता रंजन कुमार दास की हत्या कर दी थी. रंजन कुमार दास आरटीआई के सक्रिय कार्यकर्ता थे और उन्होंने आरटीआई के सहारे भ्रष्टाचार के कई मामले उजागर किए थे.


पूर्व अधिकारियों की ओर से भेजे गए पत्र में सरकार को सुझाव दिया गया है कि व्हिस्लब्लोअर प्रोटेक्शन एक्ट के प्रभावी क्रियान्वयन, आरटीआई कार्यकर्ताओं को भी व्हिस्लब्लोअर और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की तरह देखा जाए और मृत्यु की स्थिति में परिजनों को मुआवजा दिया जाए.